Thursday, December 13, 2012

स्वास्थ्य रक्षक-ऑवला


ऑवला को आमलकी नाम से भी जाना जाता है। यह वैदिक काल से औषधि के रूप में व्यवहार में लाया जाता रहा है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी बार-बार इसके प्रयोग की महिमा का गान हुआ है। महर्षि च्यवन को बूढ़े से जवान बना देने वाली महान औषधि ऑवला को सभी जानते है।
नांरगी, संतरा से भी कई गुना अधिक विटामिन सी ऑवला में होता है। पाचनसंस्थान को स्वस्थ बनाने एवं यकृत को बल देने वाला ऑवला च्यवनप्राश औषिधि के रूप में जन-जन के लिए उपयोगी है। उदर रोगों को दूर कर जीवनीशक्ति को बढ़ाने के लिए ऑवला सर्वश्रेष्ट है। ऑवले की चटनी, मुरब्बा, अवलेह, ऑवलचूर्ण के रूप में प्रयोग प्रचलित है। त्रिफला चूर्ण का एक घटक ऑवला भी है। मुलेठी चुर्ण के साथ ऑवला चूर्ण मिलाकर देने से अम्लपित्त (हाइपर एसिडिटी ) में चमत्कारी लाभ मिलता है।
आयुर्वेदिक गुण-ऑवला त्रिदोषनाशक है। यह बलकारक, ग्राही, यकृत के लिए लाभदायक, रक्त-पित्त, अम्ल-पित्त, शोथ (सूजन) रक्त विकार एवं कब्ज दूर करने वाला तथा अरूचि मिटाने वाला है। इसमें जीवनीशक्ति बढ़ाकर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करने वाला गुण होता है।
सूखा ऑवला आँखों एवं बालों के लिए हितकारक, धातुवर्द्धक, टूटी हड्डी जोड़ने में सहायक होता है। ऑवला की मिठास पितत्जनक दोषों को दूर करता है, ऑवला की अम्लता वातजनित दोषों को नष्ट करता है, इसमें विद्यमान कसैलापन कफ-दोषों को नष्ट करने में प्रभावी होता हैं इस प्रकार ऑवला त्रिदोषनाशक होता हैं ऑवले का उपयोग करने से शरीर के मृत कोश बाहर निकल जाते है, उनके स्थान पर नए स्वस्थ कोशों का निर्माण होता है। नए बलशाली शक्तिकोशों का निर्माण होने से नव स्फूर्तिमय स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती हैं।
मात्रा- ताजे फल का रस 25 मि ली प्रतिदिन सुबह-शाम।
सूखे फल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम प्रतिदिन सुबह-शाम।
  विभिन्न रोगों में प्रयोग
हथेलियों एवं पैरों में अधिक पसीना आने पर-जिनके तलवों एवं हथेलियों में अधिक पसीना आता हो, उनके लिए ऑवला बेहतर औषधि साबित हुई है। 5 ग्राम ऑवलाचूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें तथा ऑवला चूर्ण 10 ग्राम लेकर 400 मि ली पानी में उबालकर काढ़ा बनाएँ। ठंड़ा होने पर उस पानी से हथेलियों और तलवों को धोएँ।
शुक्र प्रमेह, स्वप्नदोष तथा सिरदर्द में- ऑवलाचूर्ण 10 ग्राम लेकर उतनी ही मात्रा में मिसरी पीसकर मिला लें एक गिलास ठंडे पानी के साथ 21 दिन सेवन करने से लाभ मिलता है।
बवासीर के रक्तस्राव में- दही की मलाई के साथ ऑवलाचर्ण का सेवन करने से बवासीर का रक्तसारव बंद हो जाता है।
पेशाब में खून आने पर-ऑवले के रस के साथ मिसरी मिलाकर पीने से मुत्र के साथ खून आना बंद हो जाता है। अत्यंत कष्ट से रक्त मिश्रित पेशाब हो रहा हो तो ऑवला के रस में गन्ने का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा शहद मिलाकर सेवन कराएँ।
नाक से, मुख से या गुदा आदि से रक्तसारव होने पर
1-ऑवला चूर्ण 5 ग्राम लेकर घी और शक्कर से साथ सुबह-शाम सेवन करने से रक्तसारव के रोगों में लाभ होता है।
2-अनार के रस के साथ ऑवला रस मिलाकर सेवन करने से खून की अनावश्यक गरमी शांत हो जाती है। रक्तसार्रव बंद हो जाता हैं
3-200 ग्राम दही में 10 ग्राम ऑवला चूर्ण मिलाकर या ताजा ऑवला कद्दूकस मिलाकर मिसरी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
हिचकी, उबकाई और कै में- ऑवले के रस में शहद या मिसरी मिलाकर सेवन करने से पित्त विकृति के कारण उत्पन्न हिचकी, उबकाई, कै शांत हो जाते है।
पीलिया और रक्ताल्पता में- ताजे ऑवले का रस निकालकर उसमें गन्ने का ताजा रस मिलाकर तथा थोड़ा सा शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से पुराने ज्वर आदि के कारण उत्पन्न पीलिया या रक्त की कमी दूर होती हैं।
भयानक अतिसार में- भावप्रकाश के अनुसार ऑवले को जल में पीसकर उसका नाभि के चारों ओर गोलाई में घेरा बना दें। घेरे के बीच में अदरक का रस भर दें, इससे भयानक अतिसार भी बंद हो जाता हैं
मूत्र में जलन, रूकावट में- ऑवला का रस 10 मि ली निकालकर उसमें मिसरी तथा इलायची का चूर्ण मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
सुजाक में-ऑवला चूर्ण का सेवन शीतल जल के साथ सुबह-शाम करने से लाभ मिलता है।
आँखों की फूली एवं नेत्र रोगों में - 10 ग्राम ऑवला चूर्ण एक गिलास पानी में भिगोकर रखें, प्रात: काल उस पानी को छानकर ‘‘ आई वाशिंग कप ‘‘ ( आँख धोने का पात्र ) में डालकर आँखों को धोएँ, इससे आँखों की लालिमा तथा फूली मिटती है। नेत्र दृष्टि बढ़ती है।
बाल धोने के लिए- सूखे हुए 2-3 ऑवले 2 गिलास पानी में डालकर रातभर रखें, प्रात: उन्हें मसल लें और छानकर उस पानी से बाल धोएँ। इससे बालों का झड़ना मिटता है। बालों का सफेद होना रूक जाता हैं बाल काले, घने, मुलायम, रेशमी एवं मजबूत बनते हैं।
ज्वर अवस्था में मुँह सूखना एवं अरूचि- ऑवला चूर्ण के साथ मुनक्का को पीसकर चटनी सी बना लें या गोली बनाकर चूसने से मुँह सूखना एवं अरूचि मिटती है।
सोमरोग में- ऑवले का रस, पका केला, शहद मिसरी सबको मिलाकर सेवन करने से सोमरोग मिटता है।
                अन्य उपयोग
(1) ऑवले को शुद्ध तेल बनाने की विधि- 1 लीटर तिल का तेल या नारियल का तेल लेकर उतनी ही मात्रा में आंवला का ताजा रस निकालकर (ऑवला कद्दूकस करके उसका रस निचोड़ लेते हैं। ) तेल में मिलाकर मंद आँच पर पकाएँ, जब तेल ही शेष रहे, तब उतारकर ठंडा करके छानकर काँच की बोतल में भरकर रखें। यह तेल सिर में लगाने से बालो के सभी रोगों का निवारण होता है। बाल असमय सफेद हो रहे हों तो इस रोग पर नियंत्रण हो जाता है।
(2) ऑवले का मुरब्बा- ऑवले को कद्दूकस करें और काँच के बरतन में डालकर शुद्ध शहद इतना डालें कि ऑवला का गूदा पूरी तरह शहद में डूब जाए, बरतन को ढक दें। 20 दिन तक इसे धूप में रखें। अब इसे 10 से 20 ग्राम नित्य सेवन करें। इससे पाचनशक्ति बढ़ती है तथा ब्लडप्रेशर नियंत्रित संतुलित रहता है। कब्ज, सिर दर्द, गैस, अपच रोग मिटते है।
यदि मुरब्बा चीनी की चाशनी में बनाना चाहें तो ऑवले के गूदे को चासनी में डालकर पका लेते है।
                                                   युग निर्माण योजना नवम्बर 2012

           

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